याद आता हमे हर वो लम्हा है,
जब हमारे साथ तुम्हारा साया रहा है।
वो बचपन के खेल वो शैतानियां,
वो मस्ती वो खिलकारियाँ।
छुटपन में साथ रेट के महल बनाना,सबका साथ घूमने जाना,
फिर जीवन के नए मोड़ पर हाथ थाम के संभालना।
माँ और पापा के साथ रहा आपका भी साया है,
भाई हर मुश्किल को दूर करेगा ये विश्वास रहा है।
हर डर दर्द आपके साये ने हटाया है,
शुक्रिया करने का आज फिर ख़ास दिन आया है।
जुड़ा रहे हमेशा ये बंधन,
हर साल ख़ुशी लाये ये रक्षाबंधन।
श्रेयांशु और श्रीकांत मिश्रा। …
जब हमारे साथ तुम्हारा साया रहा है।
वो बचपन के खेल वो शैतानियां,
वो मस्ती वो खिलकारियाँ।
छुटपन में साथ रेट के महल बनाना,सबका साथ घूमने जाना,
फिर जीवन के नए मोड़ पर हाथ थाम के संभालना।
माँ और पापा के साथ रहा आपका भी साया है,
भाई हर मुश्किल को दूर करेगा ये विश्वास रहा है।
हर डर दर्द आपके साये ने हटाया है,
शुक्रिया करने का आज फिर ख़ास दिन आया है।
जुड़ा रहे हमेशा ये बंधन,
हर साल ख़ुशी लाये ये रक्षाबंधन।
श्रेयांशु और श्रीकांत मिश्रा। …