Thursday, 28 April 2011

HOME AWAY FROM HOME

एक नए पहलु की शुरुवात,
कभी न भूलूं वो रात,
ज़िन्दगी में आया था नया मोड़,
यार THAT NIGHT WAS SO COLD.
पहला कदम रखा इस शहर  में,
थी उमंग की जायेंगे अब कॉलेज में.
थी यहाँ हर चीज़ नयी .
पर चुकानी पड़ी कीमते कई
यहाँ सीखी कई नयी बातें,
पर हमेशा की तरह न देखि किताबे.
याद आ रहा था घर, कमरा मेरा.
पर यहाँ जैसे सिमट गया ज़िन्दगी का घेरा.
बने कई दोस्त- दुश्मन यहाँ नए.
पर हाँ वापस न आयेंगे दिन जो गए.
करी हमने यहाँ कई शरारतें,
हसेंगे याद करके ये बातें.
कभी तोह किया युद्ध किसी बात पर महाभारत जैसा,
धीरे  धीरे शम्झ में आया इ कौन है कैसा..




DEDICATED TO B'LORE, COLLEGE, HOSTEL AND KRAZZY  FRIENDS....LOVE YOU, MISS YOU ALL.

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