Thursday, 28 April 2011

माँ..

दुनिया में सबसे अची दोस्त,
जो करे दूर हमारी खोट.
जग में सबसे अनमोल है माँ,
जाने क्यूँ लगे अलग मुझे मेरी माँ.
कहते है की अनकही तक समझती है,
पर मेरी हर बात जाने क्यूँ उसे खटकती है.
चाहे हर समय मेरी भलाई,
पर उनकी कई बातें मुझे रुलाई.
आज तक उन्हें मैं नहीं पाइए समझ,
या फिर मैं हूँ कुछ अजब.
जीना चाहती हूँ मैं अपनी ज़िन्दगी.
करते हुए उनकी बंदगी.
मेरी मर्जी उन्होंने कभी नहीं जानी,
गुस्सा आता है जब करे वे मन-मानी.
छह कर भी कभी उनका दिल न दुखऊँ.
चाहे खुद ही घुट-घुट के मर जाऊं.
बस रब से है यही दुआ,
हर हाल में खुश रहे मेरी माँ.



TO MY ADORABLE MOM.

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