Sunday 23 March 2014

ऐसा लगता है तुम हो.....

न जाने क्यूँ जब हवा छू के गुज़रती है,
ऐसा लगता है तुम हो।
जब दिल डर के सहमता है,
ऐसा लगता है तुम हो।
कोई चुपके से कानो में कुछ बोले तो,
ऐसा लगता है तुम हो।
मेरी हर रातों में बातों में तुम हो,
ऐसा लगता है कि तुम से ही ये ज़िन्दगी,
ऐसा लगता है कि तुमसे ही,
हर सुबह शाम शुरू और ख़तम होती है।
पर हर समय ये डर लगता है,
क्या तुम्हारी बातों में भी मेरी जगह होती है?

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