जाने क्यूँ ऐसा लगता है कि कुछ हुआ है,
जाने क्यूँ ऐसा लगता है कि सब जुदा है।
हवाओँ का रुख क्यूँ बदला है,
या बदल गया पूरा नजरिया है।
लगता है जैसे पल यहीं थम गया हो,
लगता है जैसे मौसम बदल गया हो।
क्यूँ लगने लगी अच्छी बारिश कि बूंदें,
क्यूँ अब सुहानी लगे सूरज कि किरणे।
कुछ भी नहीं लगता अब बुरा मुझे,
शायद हुआ ये सब, जब से पाया है तुझे।
जाने क्यूँ शर्माऊँ अब आईना देख कर मैं,
जाने क्यूँ मुस्कुराऊँ किसी का नाम सोच कर मैं।
जाने क्यूँ हर पल उससे मिलने कि बेताबी हैं,
जाने ये मुझे हुआ क्या है।
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